Department at a Glance

कांकेर एक ऐतिहासिक नगरी है । यहां के प्राकृतिक मनोरम दृश्य दूध नदी की निर्मल धारा, गढ़िया पहाड़ ,पर्यटकों को लुभाते रहते हैं। यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 145 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर स्थित है। कांकेर साल वनों का द्वीप बस्तर संभाग का प्रवेश द्वार है। संस्कारधानी छत्तीसगढ़ कांकेर नगर,साहित्य की समृद्ध परंपरा से अछूता नहीं है। कांकेर रियासत के साहित्य अनुरागी महाराजाधिराज भानुप्रताप देव ने 04 जुलाई 1962 ईस्वी को ग्राम्य - भारती उपाधि महाविद्यालय की स्थापना कर उच्च शिक्षा का द्वार खोल दिया था। प्रसिद्ध साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने इसी कांकेर नगर में गढ़िया पहाड़ ही में दूध नदी के तट पर बैठकर साहित्य साधना की थी ।

ग्राम्य भारती उपाधि महाविद्यालय 01 जनवरी 1975 ई. को शासनाधीन हुआ और सन 1984 में वर्तमान नवीन भवन का निर्माण हुआ । तत्पश्चात सत्र 1987-88 में महाविद्यालय में हिंदी की स्नातकोत्तर कक्षाएं प्रारंभ हुई। मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने 14/12/1995 को स्नातकोत्तर महाविद्यालय का दर्जा दिया और मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा / मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक एफ/44/14/95/38-2, दिनांक 23/02/1996 के अनुसार इस महाविद्यालय का नाम कांकेर रियासत के पूर्व व अंतिम महाराजाधिराज भानुप्रतापदेव कांकेर स्टेट की स्मृति में महाविद्यालय का नामकरण भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर किया गया।

महाविद्यालय में हिंदी विभाग 37 वर्ष पुराना है। इन 37 वर्षों में अलग-अलग सत्र में हिंदी विभाग के 10 विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय की मेरिट सूची में अपना स्थान बनाया है । महाविद्यालय में विभाग द्वारा हिंदी साहित्य परिषद का गठन कर विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने का कार्य प्रत्येक वर्ष किया जा रहा है । परिषद के माध्यम से छात्रों में अंतर्भुत सृजनात्मक प्रतिभा को उभारने एवं संवारने का कार्य किया जाता है साथ ही साहित्य के विद्वानों को आमंत्रित कर उनका व्याख्यान एवं उनसे साक्षात्कार कराया जाता है | सत्र 2005 में सृजनात्मक लेखन शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें अंचल के सुनाम धन्य साहित्यकार, कवि गण उपस्थित थे । छात्र - छात्राओं को कविता, कहानी, निबंध, यात्रा संस्मरण, फीचर लेखन आदि का विषय देकर मौखिक लेखन कराया गया था। उनमें से चयनित होकर महाविद्यालय के 02 विद्यार्थियों ने संस्कृत महाविद्यालय रायपुर में आयोजित राज्यस्तरीय सृजनात्मक लेखन शिविर में भाग लिया था । इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में एम. ए .अंतिम हिंदी के छात्र श्री भागवत प्रसाद बैरागी ने राज्य में प्रथम स्थान एवं कुमारी अरुणा कोर्राम बी .एस .सी. भाग 02 ( बायो समूह ) ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त कर महाविद्यालय एवं हिंदी विभाग को गौरवान्वित कर चुके हैं।

हिंदी विभाग द्वारा पहला राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठी 22 एवं 23 दिसंबर 2008 को और राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी 2 एवं 3 जनवरी 2019 को आयोजित किया गया था जिसमें प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के 50 से अधिक विद्वानों ने शोध संगोष्ठी में भाग लेकर शोध पत्र वाचन किया था जिसकी स्मारिका का प्रकाशन महाविद्यालय हिंदी विभाग द्वारा पुस्तकाकार रूप में आई एस बी एन नंबर से कराया गया है । इस महाविद्यालय में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी परिषद के कार्यक्रमों में तत्कालीन बस्तर कमिश्नर डॉ सुदीप बनर्जी, कवि एवं साहित्यकार डॉ सरयूकांत झा, श्री हरि ठाकुर, डॉ. त्रिभुवन पांडे, श्री हरि नारायण वत्स, श्री नारायण लाल परमार, डॉ प्रभात रंजन, डॉ आशा शुक्ला, (समाज सेविका ) रायपुर, सुश्री गुरमीत कौर इत्यादि अतिथि के रूप में आ चुके हैं | शोध संगोष्ठियों के अवसर पर डॉ विनय पाठक, डॉ इंद्र बहादुर सिंह, ( मुंबई), डॉ अनुसूया, अग्रवाल ( महासमुंद), कृष्ण कुमार भट्ट ( मुंगेली) डॉ गोरेलाल चंदेल, डॉ जीवन यदु (खैरागढ़), डॉ चंद्रशेखर सिंह, डॉ जय प्रकाश साहू, श्री थान सिंह वर्मा, श्री बलदाऊ साहू इत्यादि उदभट विद्वानों का पदार्पण यहां हो चुका है।

वर्तमान में हिंदी विभाग में तीन नियमित सहायक प्राध्यापक क्रमशः डॉ. स्वामीराम बंजारे, श्री नवरतन साव, श्री विजय प्रकाश साहू और एक अतिथि सहायक प्राध्यापक डॉ . सीमा परिहार कार्यरत हैं। इनमें से श्री विजय प्रकाश साहू और डॉ सीमा परिहार इसी महाविद्यालय के एम. ए. हिंदी के छात्र रहे हैं। एम. ए. प्रथम/ द्वितीय सेमेस्टर में 35 और तृतीय / चतुर्थ सेमेस्टर में 30, बी. ए. भाग तीन में 146, बी ए भाग दो में 123, और बी .ए. भाग एक में 197 विद्यार्थी हिंदी साहित्य में अध्ययनरत हैं। शहीद महेन्द्र कर्मा बस्तर विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर हिंदी विभाग को शोध केन्द्र की मान्यता प्राप्त है । बस्तर विश्वविद्यालय जगदलपुर के अधिसूचना क्रमांक 7223/अका./ ब. वि. वि. / 2020 जगदलपुर, दिनांक 14-1-2020 के द्वारा महाविद्यालय में हिंदी विभाग को शोध केंद्र की मान्यता दी गई है और 05 शोधार्थियों ने प्रवेश लिया है उनमें से दो शोधार्थी - श्रीमती मधु जैन और शैलेन्द्र कुमार साहू को पी. एच डी की डिग्री अवार्ड हो चुकी है । 02 शोधार्थियों का शोध प्रबंध मूल्यांकन दिसंबर 2022 से विश्वविद्यालय में जमा है और 01 शोधार्थी का पीएचडी शोध कार्य पूर्णता की ओर अग्रसर है शीघ्र ही विश्वविद्यालय में मूल्यांकन हेतु जमा करा दिया जाएगा | महाविद्यालय में शोध निर्देशक एवं हिंदी अध्ययन मंडल के अध्यक्ष तथा डी आर सी आर डी सी के अध्यक्ष डॉ स्वामी राम बंजारे महाविद्यालय में जनवरी 1988 से पदस्थ हैं,उनके कुशल मार्गदर्शन में हिंदी विभाग उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है।